Tuesday, December 1, 2009

रब्बा जो तेरी

अब सोने जा रहा हूँ कल फ़िर मिलूँगा अभी गाने भी सुनने है और सुबह जल्दी भी उठाना है जाते जाते आपको एक गाने की चंद पंक्तिया लिख कर जा रहा हूँ

माँगा
जो मेरा है
जाता क्या तेरा है ,
मैंने कौन सी तुझसे जन्नत मांग ली
कैसा खुदा है तू
बस नाम का है तू
रब्बा जो तेरी
इतनी सी भी चली
चाहिए जो मुझे
करदे तू मुझको अदा ....

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