Sunday, April 25, 2010

शायरी 13


माना हम सदियों से तनहा है दोस्त ..
एहसास मत दिलाया करो..
दर्द होता है .......

शायरी 12

हर इन्सान में खुदा है .....
ये सच पहचान पाए कोई....
दुःख मिलने से रोता है हर इंसान...
मुस्कराते हुए किसी को सह पाए कोई ...

देखने को नहीं मिलेगें खुदा लोगों को ...
क्योकि लोग जीते है सिर्फ खुद के लिए ...
सिर्फ पैसों की तलाश है हर इंसान को ....
खुदा खुद हाज़िर भी हो...
तो किसके लिए ????

Wednesday, April 21, 2010

शायरी 11

मेरे "किरदार" को

कुछ इस कदर

बयां
किया उसने....

मेरे गुनाह को

सभी मेरा "अंदाज़"

समझ बैठे ........!!!!!!!

Monday, April 12, 2010

शायरी 10



किसी को खुश रखना ...
मेरी आदत तो नहीं
मुझे देख कर कोई मुस्करा दे ...


तो मैं क्या करू ...........

Tuesday, February 23, 2010

आज काफी थक गया ऑफिस में ..खाना खाकर अब अपने प्यारे कमरे में आकर अपने कंप्यूटर पर गाने सुन रहा हूँ..साथ ही अपने दोस्त सुंदर से बात भी कर रहा हूँ .

Saturday, February 20, 2010

प्रतीक से बात हुयी

आज मरी इतने दिन बाद काफी देर तक मेरे कॉलेज के बहुत अच्छे दोस्त प्रतीक से बात हुई..प्रतीक

कॉलेज
की पढाई ख़तम करने के बाद लदन चला गया है ..बस तभी से बात होती पर काफी कम ..पर

आज
हम दोनों ने इंटरनेट पर काफी देर तक बात करी ..वैसे ऐसा नहीं है की आज ही मुझे इंटरनेट का

फायेदा
नज़र रहा है पर वाकिये में इंटरनेट ने दुनिया को बहुत छोटा बना दिया है ..हम दोनों अपने

अपने
Headphones से बात कर रहे थे और बाद में प्रतीक नेwebcam भी ऑन कर दिया था जिसकी

वजह
से मैंने कम से कम एक साल बात उसे देखा भी ....काफी अच्छा लगा ..कॉलेज टाइम में मेरे सबसे

अच्छे
दोस्तों में से एक प्रतीक भी था ..मुझे अपने कॉलेज जाने का सबसे उपयोगी बात ये ही लगी थी की

मुझे
प्रतीक और उसके जैसे कुछ दोस्त ऐसे मिले थे जिनके बिना वाकिये में लाइफ अधूरी होती .. हम

दोनों
ने काफी बातें करी और बाद में से पक्का भी कर लिया की अब जब बात करनी हो तो नेट पर ही

कर
लेंगे ..प्रतीक कॉलेज टाइम में काफी सोचता रहता था ..उसे लगता था जैसे वो जिस course में पढ़

रहा
है वो उसको नहीं करना चाहिए ...पर आखिर वो सही मंजिल की और निकल पड़ा..यानि वो जो

करना
चाहता था MBA उसे उस university में admisson भी मिल गया और लंदन चला गया ..इंडिया

में
वो हमेशा कहता था की यार पता नहीं क्या करूँगा मैं जो पढाई कर रहा हूँ वो मेरे काम आएगी भी या

नहीं
पर चलो उसे कुछ करने को तो मिला नहीं तो वो हमेशा इस उलझन में ही रहता की मुझे करना था

पर
मैं नहीं कर पाया ..... प्रभु
से ये ही दुआ करता हु की प्रतीक जो चाहता है वो पूरा हो जाये ..वो अपने

परिवार से हम सबसे इतनी दूर गया हुआ है ....और कम से कम जो प्रतीक चाहता हैं वो बनकर ही वापस आये जाये...

Tuesday, February 16, 2010

शायरी 10

थक सा गया है अब मेरी "चाहतों" का वजूद

अब तो "कोई" अच्छा भी लगे तो हम "इज़हार" नहीं करते

Monday, February 8, 2010

Mukesh अनाड़ी


Film - Anari (1959)
Lyrics - Shailendra
Singer(s) - Mukesh,Lata
Music Director :Shankar-Jaikishan
मुकेश जी का बेहतरीन गाना
इस पोस्ट में मै मुकेश जी के पसंदीदा गाने आप सबके के साथ बाटूंगा
आशा करता हूँ आपको भी अच्छे लगेंगे
मुकेश जी जैसे गीतकार फिर कभी नहीं हो सकते


दिल की नज़र से, नज़रों की दिल से
ये बात क्या है, ये राज़ क्या है
कोई हमें बता दे
धीरे से उठकर, होठों पे आया
ये गीता कैसा, ये राज़ क्या है
कोई हमें बता दे, दिल की नज़र से ...
क्यों बेखबर, यूँ खिंचीसी चली जा रही मैं
ये कौनसे बन्धनों में बंधी जा रही मैं
कुछ खो रहा है, कुछ मिल रहा है
ये बात क्या है, ये राज़ क्या है
कोई हमें बता दे, दिल की नज़र से ...
हम खो चले, चाँद है या कोई जादूगर है
या, मदभरी, ये तुम्हारी नज़र का असर है
सब कुछ हमारा, अब है तुम्हारा
ये बात क्या है, ये राज़ क्या है
कोई हमें बता दे, दिल की नज़र से ...
आकाश में, हो रहें हैं ये कैसे इशारे
क्या, देखकर, आज हैं इतने खुश चाँद-तारे
क्यों तुम पराये, दिल में समाये
ये बात क्या है, ये राज़ क्या है
कोई हमें बता दे, दिल की नज़र से ...

Wednesday, January 27, 2010

सरफरोशी की तमन्ना




सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,
देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है

करता नहीं क्यों दुसरा कुछ बातचीत,
देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफिल मैं है

रहबर राहे मौहब्बत रह जाना राह में
लज्जत--सेहरा नवर्दी दूरिये-मंजिल में है

यों खड़ा मौकतल में कातिल कह रहा है बार-बार
क्या तमन्ना--शहादत भी किसी के दिल में है

शहीदे-मुल्को-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार
अब तेरी हिम्मत का चर्चा ग़ैर की महफिल में है

वक्त आने दे बता देंगे तुझे आसमां,
हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है

खींच कर लाई है सब को कत्ल होने की उम्मींद,
आशिकों का जमघट आज कूंचे--कातिल में है

सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,
देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है

है लिये हथियार दुश्मन ताक मे बैठा उधर
और हम तैय्यार हैं सीना लिये अपना इधर

खून से खेलेंगे होली गर वतन मुश्किल में है
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

हाथ जिनमें हो जुनून कटते नही तलवार से
सर जो उठ जाते हैं वो झुकते नहीं ललकार से

और भडकेगा जो शोला सा हमारे दिल में है
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

हम तो घर से निकले ही थे बांधकर सर पे कफ़न
जान हथेली में लिये लो बढ चले हैं ये कदम

जिंदगी तो अपनी मेहमान मौत की महफ़िल मैं है
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

दिल मे तूफानों की टोली और नसों में इन्कलाब
होश दुश्मन के उडा देंगे हमे रोको आज

दूर रह पाये जो हमसे दम कहाँ मंजिल मे है
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

भारत हमको जान से प्यारा है



jai hind

I love my इंडिया

भारत हमको जान से प्यारा है
सबसे न्यारा गुलिस्तां हमारा हैं
सदियों से भारत भूमि
दुनिया की शान है
भारत माँ की रक्षा मैं
जीवन कुर्बान है
उजड़े नहीं अपना चमन
टूटे नहीं अपना वतन
गुमराह कर दे कोई
बर्बाद कर दे कोई
मंदिर यहाँ
मस्जिद यहाँ
हिन्दू यहाँ
मुस्लिम यहाँ
मिलके रहे
हम प्यार से
जागो...........................
हिन्दुस्तानी नाम हमारा है
सबसे प्यारा देश हमारा है
जम्भूमि है हमारी
शान से कहेंगे हम
सभी तो भाई भाई
प्यार से रहेंगे हम
हिन्दुस्तानी नाम हमारा है
सबसे प्यारा देश हमारा है
असम से गुजरात तक
बंगाल से महाराष्ट्र तक
जाती नहीं
धुन एक है
भाषा कई
सुर एक है
कश्मीर से मद्रास तक
कह्दो सभी
हम एक है
आवाज़ दो
हम एक है
जागो.....................

जय हिंद

Sunday, January 24, 2010

मज़िल

मज़िल मिले या न मिले इसका गम नही

मज़िल कि आरज़ू में मेरा कारवा तो है ।।

Tuesday, January 12, 2010

शायरी - 9

हर एक चेहरे को ज़ख्मों का आइना कहो
यह ज़िन्दगी तो है रहमत इससे सजा कहो........

-------------------------------------


जाने कोई कौन सी मजबूरियों का कैदी हो
वो साथ छोड़ गया है तो उसे बेवफा कहो...........

-------------------------------------


यह
और बात की दुश्मन हुआ है आज मगर
वो मेरा दोस्त था कल तक उसे बुरा कहो.......

-------------------------------------


हमारे
ऐब हमें उँगलियों पर गिनवा दो
पर हमारी पीठ के पीछे हमें बुरा कहो ...........

-------------------------------------

Friday, January 8, 2010

Thursday, January 7, 2010

दिल तो बच्चा है जी ....


11:26pm

जल्द ही एक नयी फिल्म इश्किया आ रही है ..इसमें नसरुद्दीन शाह ,अरशद वारसी ,विद्या बालन मुख्य भूमिका में दिखयी देंगे ..और यकीं मानिये ये फिल्म हिट जाएगी..फिल्म के ट्रेलर ये ही बता रहे है .साथ संगीत विशाल भरद्वाज ने दिया है और गाने गुलज़ार साहब ने लिखे है ..पर ख़ास बात इस फिल्म का एक गाना है "दिल तो बच्चा है जी " ये गाना आने वाले दिनों में सबकी जबान पर जरूर चढ़ जायेगा ..ये गाना ख़ास रहत फ़तेह खान ने अपनी नशीली आवाज़ में गया है .मुझे ब्लॉग में गाना कैसे लगाते हैं वो नहीं आता इसीलिए मैं इस गाने के बोल लिख रहा हूँ.ये
नसरुद्दीन शाह विद्या बालन के लिए गा रहे है ..वो बड़े है इसीलिए वो अपनी उम्र को देखते हए ये गाना गाते हैं और अगर किसी पाठक को पता हो तो कृपया मुझे जरूर बताये पर फेले ये गाना एक बार सुनिए गा आप सबको जरूर पसंद आएगा ..गाने का लिंक लिख रहा हु ताकि आपको ढूँढने में आसानी हो ख़ास तौर पर हमारे चहेते "समीर जी" ko

http://www.youtube.com/watch?v=F90BfpaKGB4


एक अधेढ़ उम्र के आदमी को इश्क हो जाये तो उसका क्या होगा ये गाना उसपर है...

ऐसी उलझी नज़र उनसे हटती नहीं
दांत से रेशमी डोर कटती नहीं
उम्र कब की बरस के सफेद हो गयी
कारी बदरी जवानी की छट्टी नहीं
वल्ला ये धड़कन
बढने लगी है
चेहरे की रंगत
उड़ने लगी है
डर लगता है तनहा.. सोने में जी
दिल तो बच्चा है जी ....
थोडा कच्चा है जी
ऐसी उलझी नज़र उनसे हटती नहीं
दांत से रेशमी डोर कटती नहीं
उम्र कब की बरस के सफेद हो गयी
कारी बदरी जवानी की छट्टी नहीं
रा रा रा रा रा

किसको पता था पहलू में रखा
दिल ऐसा पाजी भी होगा
हम तो हमेशा समझते थे कोई
हम जैसा हाजी ही होगा
हाय जोर करें , कितना शोर करें
बेवाज़ा बातें पे ऐंवे गौर करें
दिलसा कोई कमीना नहीं
कोई तो रोके ,
कोई तो टोके,
इस उम्र में
अब खाओगे धोखे
डर लगता है इश्क करने में जी
दिल तो बच्चा है जी ....
दिल तो बच्चा है जी ....
दिल तो बच्चा है जी ....
थोडा कच्चा है जी

ऐसी उधासी बैठी है दिल पे
हसने से घबरा रहे हैं
सारी जवानी कतरा के काटी
पीरी में टकरा गए हैं
दिल धड़कता है तो
ऐसे लगता है वो
आ रहा है यहीं
देखता ही न हो
प्रेम की मारें कतार रे
तौबा ये लम्हे
कटते नहीं क्यूँ
आँखों से मेरी
हटते नहीं क्यूँ
डर लगता है मुझसे कहने में जी
दिल तो बच्चा है जी ....
दिल तो बच्चा है जी ....
थोडा कच्चा है जी
हाँ दिल तो है बच्चा जी

सड़क पर सोते लोग

10: 40pm
आज ऑफिस से आते वक़्त मैं जैसे ही बस से उतरा तभी मेरी नज़र सामने एक बिल्डिंग पर गयी...वहा कई लोग अपने सोने का इन्तेजाम कर रहे थे ..उनके साथ छोटे बच्चे भी थे..हम लोगो को इतने मोटे मोटे स्वेटर में भी ठण्ड लग रही होती हैं और इनके पर बस तन ढकने के कपडे है ..अब वो गर्म कपडे है या नहीं येमैं नहीं जानता ..छोटे बच्चे जैसे समझ चुके है की हमारे लिए ये ही है और वो इसमें भी अपनी ख़ुशी ढूंढ़ रहे है तभी तो सब भूल अपने पास पड़ी लकडियो से खेल रहे थे ... इतनी ठण्ड में खुले आसमान में सोना ....! बिचारे उन्हें देख कर मुझे बहुत दुःख हुआ ..वो कम से कम 20-25 लोग थे ..कई लोगो ने अपने पास आग जला राखी थी ,मगर वो आग उन्हें क्या ताप दे रही होगी ? सिर्फ इतना नहीं सड़क पर सोते हुए कई लोगो ने सड़क पर घुमने वाले कुत्तो को भी अपनी चादर में शामिल कर रखा था ..ये लोग इनके पास कुछ भी नहीं..से सब देख सच में मुझे बहुत दुःख हुआ ..और ये तो सिर्फ एक नमूना है ऐसे न जाने कितने ही सैकड़ो लोग है जो इतनी ठण्ड में यु ही सड़क पर सोते है ..और हमारे देश के नेता आराम से अपने हीटर वाले कमरे में रजाई तान कर सोते हैं ... जो पैसा इन लोगो के लिए आता है वो कहा जाता है वो कोई नहीं जनता ,, जो रेन बसेरो के लिए सरकार देती है वो कहा जाता है कोई नहीं जनता है ..और जो गिने चुने रेन बसेरे होते है उनके हालत जैसे होती है वो सब जानते है ...

शायरी-9 क्यूं कहते हो.......


क्यूं कहते हो.......


क्यूं कहते हो मेरे साथ कुछ भी बेहतर नही होता
सच ये है के जैसा चाहो वैसा नही होता
कोई सह लेता है कोई कह लेता है
क्योकि ग़म कभी ज़िंदगी से बढ़ कर नही होता


आज अपनो ने ही सीखा दिया हमे
यहाँ ठोकर देने वाला हर पत्थर नही होता
क्यूं ज़िंदगी की मुश्क़िलो से हारे बैठे हो
इसके बिना कोई मंज़िल, कोई सफ़र नही होता


कोई तेरे साथ नही है तो भी ग़म ना कर
ख़ुद से बढ़ कर कोई दुनिया में हमसफ़र नही होता


....सोनम

Wednesday, January 6, 2010

हा हा पार्ट २






शायरी -8 मन


मन को वश में करो
फिर चाहे जो करो।

कर्ता तो और है
रहता हर ठौर है
वह सबके साथ है
दूर नहीं पास है
तुम उसका ध्यान धरो।
फिर चाहे जो करो।

सोच मत बीते को
हार मत जीते को
गगन कब झुकता है
समय कब रुकता है
समय से मत लड़ो।
फिर चाहे जो करो।

रात वाला सपना
सवेरे कब अपना
रोज़ यह होता है
व्यर्थ क्यों रोता है
डर के मत मरो।
फिर चाहे जो करो।

--
रमाकांत अवस्थी

Tuesday, January 5, 2010

शायरी 7


आप से दोस्ती हो गयी
ज़िन्दगी -ज़िंदगी हो गयी .....


कौन झाकता है ख़यालात में
ज़हन में चांदनी हो गयी.......

एक उल्फत का सूरज उगा
हर तरफ रौशनी हो गयी ....

शबनमी रुत का असर था
कि शाख सुखी हरी हो गयी ....

हमसे रुखसत कोई क्या हुआ
आँखों में फिर नमी हो गयी ....

उसका 'नाज़' ये एहसान है
कि धूप भी छाव हो गयी .........

कल का दिन

कल का दिन बहुत ही ख़राब गया . सुबह मैं रोज़ की तरह तैयार होकर ऑफिस पंहुचा .4 बजे का जब क्राईम का स्पेशल चला गया तो मुझे भूख लगी . मुझे याद आया की मम्मी ने जाते-जाते मेरे बैग में एक संतरा रख दिया था . मेरा आज फास्ट था तो मैं कुछ और तो खा नहीं सकता तो मैंने सोचा की फिलहाल अपने पेट के चूहों को इसे से शांत कर लिया जाये . मैंने अपने दोस्त प्रभात को कहा की संतरा लेगा उसे संतरे बहुत अच्छे लगते हैं उसने भी हँसते हुए हा कह दिया ..संतरा का दोनों ने मज़ा लिया पर चूहे काफी थे मैंने प्रभात से कहा की चल जूस पीकर आते है . पर तभी मैंने अपनी जेब में देखा की मेरी बाइक के चाबी नहीं थी . मेरा दिमाग ख़राब हो गया चाबी कहा गयी .मैंने ये सूचना प्रभात को दी,वो बिना कुछ ज्यादा सुने एक अच्छे दोस्त की तरह चाबी ढूँढने में लग गया ..मैंने बाइक भी ऑफिस के पीछे एक गली में लगायी हुयी थी .तभी मैं भागा की कही मैंने चाबी बाइक में तो लगी नहीं छोड़ दी ? प्रभात भी मेरे पीछे भाग रहा था , बाइक को देख जान में जान आयी . इन कुछ मिन्टो में मेरे मन में हज़ार ख्याल रहे थे , पर कम से कम बाइक वही थी . पर अफ़सोस की बात ये थी की चाबी बाइक में नहीं लगी हुयी थी ..प्रभात ने अपने कमरे की चाबी निकाली और बाइक का ल़ोक खोलने की कोशिश करने लगा . मुझसे ज्यादा वो चाबी के लिए परेशान था ..शायद जूस पी पाने का गुस्सा निकल रहा था .मैंने उसे रोका की रुक एक तुने बाइक का ल़ोक खोल भी दिया तो ये स्ट्रार्ट कैसे होगी ..हम दोबारा ऑफिस गए और ऊपर से लेकर निचे सारे फ्लोर पर चेक कर लिया पर चाबी नहीं मिली..मैं तब तक समझ चुका था की चाबी नहीं मिलेगी शायद नये साल का तोहफा हैं . घर में मम्मी और पापा की डाट भी मुझे डराने लगी थी तभी मुझे याद आया की आज बाइक के इन्शोरेन्स की आखरी तारिक है ..मुझे लग गया की आज अच्छी तरह बैंड बजना है ..मैंने सबसे पहले सौरव को फ़ोन किया क्योकि बाइक की एक दूसरी चाबी घर पर थी ..उसने फ़ोन उठाया मैंने जैसे ही कहा की सौरव मेरे दोस्त मेरी बाइक की चाबी खो गयी है ,उसने छुटते ही कह दिया प्रणय शॉप पर कोई नहीं है मैं नहीं सकता ..शायद वो पहले ही भाप चुका था की मेरे अगले शब्द क्या होंगे ..मैंने कहा कोई नहीं ..मैंने फिर फोन अपने दुसरे दोस्त जय को मिलाया अबकी बार मैंने पहले ही उससे पूछ लिया की कहा हैं ,..जय ने कहा घर ..मैंने कहा शुक्र है अब एक काम कर जल्दी से मेरे ऑफिस आजा बाइक की चाबी लेकर आजा ..ये सुनते ही उसने कह दिया की मैं तो बस निकल रहा हूँ फरीदाबाद जाना है मम्मी को लेकर .मैं समझ गया कि आज कोई नहीं आयेगा ..हिम्मत कर मैंने मम्मी को फ़ोन किया उन्होंने कहा कि मैं ही घरआकर चाबी ले जाऊ ..मैंने प्रभात को कहा कि इतने तू काम संभाल मैं आता हूँ ..मैंने तभी बस पकड ली ..मैं बार बार सोच रहा था कि बाइक कि चाबी कहा रख दी पर कुछ याद नहीं रहा था ...तभी पापा का फ़ोन आया मुझ लग गया कि मम्मी ने पापा को बता दिया ..मैंने डरते डरते फ़ोन उठाया पर पापा अपना कोई काम बतारहे थे ..बस ने घर से मुझे दूर छोड़ा ..मैं भागता हुआ घर पंहुचा और चाबी लेकर वापसी केलिए बस पकड़ ली ..इन सब आप धापी में रात हो चुकी थी और ठण्ड भी बढ़ गयी थी ..ठंडी ठंडी हवा जाननिकल रही थी ..वाप आते हुयी जैसे तैसे सीट मिल गयी मैंने थोड़ी देर के लिए आँख बंद कर ली .जा आँख खोली तो पता चला कि बस दूसरी तरफ मुढ़ गयी . मैं जल्दबाज़ी में गलत बस में बैठ गया था ..मैंने बस रुकवाई पर तब मैं कम से कम 2 किलोमीटर दूर चुका था..दूर दूर तक कोई रिक्शा भी दिखाई नहीं दे रहाथा ..ठण्ड भी लग रही थी ..कान पर ऐसा लगा रहा था जैसे किसी ने बर्फ रख दी हो ..खैर मैंने पैदल चलना शुरूकिया ..और ये याद करना भी भी शुरू किया कि सुबह किसका चेहरा देख उठा था ..20 मिनट बाद मैं अपनी बाइक के पास पंहुचा उसे स्टार्ट किया और ऑफिस के गेट के आगे खड़ा किया ..टूटे हुए शरीर के साथ ऊपर चढ़ा ..तभी मम्मी का फोन आया कि चाबी मिली ऑफिस में मैंने कहा कि बाइक खड़ी मिल गयी ग़नीमत समझो ....मैं अपना बैग उठाया और सर से जाने का आदेश लिया ..रास्ते में आते वक़्त एक बाइक वाला से टक्कर होते होतेबची बल्कि मेरे साथ ही चल रही बाइक कि उससे टक्कर हो गयी ..मैंने कहा हे भगवान् आज क्या - क्या होना है ..राम राम करते मैं घर पंहुचा ..मम्मी ने खाना तैयार रखा था पर मैं इतना थक चुका था कि बस सीधा अपने कमरे में गया और सो गया .. . ,