Thursday, December 17, 2009

शायरी 4




वो अपने घर चला गया अफ़सोस मत करो
इतना ही उसका साथ था अफ़सोस मत करो....

इन्सान अपने आप में मजबूर हैं बहुत
कोई नहीं हैं बेवफा अफ़सोस मत करो.....

इस बार तुमको आने में कुछ देर हो गयी
थक हार के वो सो गया अफ़सोस मत करो.....

दुनिया में और चाहने वाले भी हैं बहुत
जो होना था सो हो गया अफ़सोस मत करो....

इस ज़िन्दगी के मुझपे कई क़र्ज़ हैं मगर
में जल्द लौट आऊंगा अफ़सोस मत करो...

ये देखो फिर से आ गयीं
फूलों पे तितलियाँ
इक रोज़ वो भी आएगा अफ़सोस मत करो.....

वो तुम से आज दूर हैं कल पास आएगा
फिर से खुदा मिलेगा अफ़सोस मत करो.....

बेकार पे बोझ लिए फिर रहे हो तुम
दिल है तुहारा फूल सा अफ़सोस मत करो....

बशीर बद्र

2 comments: