Monday, November 30, 2009

आज इतने 4 दिन बाद ऑफिस गया था ..जब मैं स्कूल में था तब अगर एक दो दिन की भी छुट्ठी जो कर लेता तो अगले दिन स्कूल जाने का बिल्कुल मन ही नही करता था । वही हाल अब भी हैं आज ऐसा लग रहा था की एक दिन और छुट्ठी कर लू , बिल्कुल मन नही कर रहा था जाने की पर अपने मन को समझाया और ऑफिस गया । फिलहाल ये पोस्ट लिखते वक्त मैं अपने दोस्त सुंदर से भी बात कर रहा हूँ ..वो नई फ़िल्म 2012 देख कर आया है और उसी की तारीफ कर रहा हैं ..वो फिलहाल विप्रो में काम कर रहा हैं । आना उसे भी पत्रकारिता में हैं पर फिलहाल वो अभी B.com 3rd year में हैं । और जैसे ही वो अपनी पढ़ाई ख़तम कर लेगा वो भी पत्रकारिता में कूद जाएगा ।

naya blog

तो आखिर Blogspot पर भी अपना ब्लॉग बना लिया ..यहाँ अपने आप को अकेला महसूस कर रहा हूँ क्योकि वर्डप्रेस में काफी दिन हो गए थे पर फिर ये याद आया की समीर लाल जी भी यही है तो जान में जान आई ..इसलिए समीर जी आपका साथ चाहिए ...शुभरात्रि ...

एक शेर

मेरे पास से गुज़र कर ,


मेरा हाल तक न पूछा


मैं ये कैसे मान जाऊ ,


के वो दूर जाकर हैं रोयें

ऑस्ट्रेलिया का कुछ ऐसा नज़ारा

अभी कुछ दिन पहले ऑस्ट्रेलिया के आसमान का कुछ ऐसा नज़ारा देखा गया ...सारे आसमान थोडी देर के लिए धुल भरा हो गया था .

Blanket ... Sydney's iconic Opera House is barely visible
//
Yellow peril ... Sydney Harbour Bridge
Committed ... runner braves conditions
Covered ... skyscrapers
Landmark ... Sydney Opera House is barely visible
Day off ... kids play on swings
Harbour ... dust drifted over Sydney Harbour Bridge
Undeterred ... surfer goes out to sea
Satellite ... storm moves across south eastern Australia

तस्वीरे पार्ट 2

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spaceball

कुदरत का कहर

अभी हाल ही में फ्रांस में एक आदमी ने जब अपने कमरे के बहार देखा तो उसे कुछ ऐसा नज़ारा देखने को मिला ..उसने फटाक से अपने camera से ये तस्वीर खीच ली.बिजली की चमक इतनी ज्यादा थी की camera उसे सिर्फ एक मोटी रेखा के तौर पर ही दिखा पाया.. आपको जान कर बेहद आश्चर्य होगा यह बिजली 3 लाख वोल्ट के बराबर थी जो कल रात आसमान को फाड़ती हुयी ज़मीन पर आ गिरी..

बिजली गिरना बदलो में उत्पन बदलाव के कारण होता हैं..बिजली विद्युत 60,ooo m/s की गति से यात्रा से कर सकती हैं यानि 130,000 मील प्रति घंटा..बिजली गिरने पर उसके आस पास का तापमान सूरज की सतह से भी 5 गुना ज्यादा हो जाता हैं.
यानी 55,000f..

सन् 1902 में Effiel Tower के पास कुछ इस कदर बिजली गिरी थी


ये कुछ तस्वीरे आप सभ को दिखाना चाहता हूँ..

बुर्ज दुबई


कैपिटल वॉशिंगटन में बिल्डिंग

बिजली और इंद्रधनुष के दुर्लभ चित्र

रेगिस्तान में बिजली

पेड़ पर गिरी बिजली

बिजली से लगी वन में आग

सच्चाई यह है की मनुष्य कितनी ही तरक्की कर ले मगर कुदरत के आगे उसका कद हमेशा छोटा रहेगा ...

तस्वीरे

ये कुछ तस्वीरे हैं जो मुझे काफी पसंद आई आशा हैं आपको भी पसंद आएगी

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प्यारी सी कहानी

दोस्तों आज मै आपके सामने एक प्यारी सी छोटी सी कहानी प्रस्तुत कर रहा हूँ आशा करता हूँ आपको पसंद आएगी..आप कहानी पड़ने के बाद अपनी राय जरूर प्रस्तुत कीजेयेगा यकीं मानिये इससे मेरा हौंसला बढेगा ....

संजय रोज़ की तरह मेट्रो में आ रहा था ..आज उसे काफी देर हो गयी थी ..रोज़ नयी नयी जगह इंटरव्यू दे दे कर वह थक चुका था मगर हार नहीं मानी थी..उसी डिब्बे में दो लड़किया आपस में बात कर रही थी ..जिनका नाम सुषमा और मेघा था ..अब चलिए सुनते है की वो क्या कह रही है ..

सुषमा - यार हद हो गयी है अब तो मेट्रो में भीड़ होने लगी है ..
मेघा - सच ,देख नहीं रही है कैसे सब गेट के शीशे तक पर चिपके पड़े है..और सुना तेरा बॉयफ्रेंड कैसा है ??
सुषमा - ठीक है उसे क्या होना है .
मेघा - कही घुमने-वुमने गयी या नहीं.
सुषमा- कहा यार गर्मी इतनी हो रही है , मैंने तो कह रखा है जब BIKE पर चलना तो तभी चलूंगी बस में मेरे बस्कि नहीं है ..
मेघा -सही कहा यार ये लोग सोचते है गर्लफ्रंड को कैसे ही रख लो ..अब मेरे वालो को ही देख लो एक दिन अपने यहाँ के
किसी घटिया से रेस्तोरांत में ले गया मै तो वहा से चली आयी और मैंने कह दिया की मैं सिर्फ Pizza hut या Mc Donald में
ही जाऊगी ..

मै वहां मन ही मन मुस्का रहा था . ये दोनों ऐसे बात कर रही है जैसे ये सांस भी ऐ.सी. में लेती हो.चाहे Pizza hut की स्पेल्लिंग न आती हो...ये भी न पता हो की जिस पिज्जा की मै बात कर रही हूँ वो कहा की डिश है .या इतना ही की वो बनता कैसे हैं ..मगर जनाब दिखावे की दुनिया जो ठहरी..इसलिए दिखावा जरूर करना हैं ..शायद आजकल प्यार ऐसा ही होता हैं.इन लोगो की प्यार की थ्योरी यही हैं.पर मज़े की बात ये है की लड़के भी ऐसी लड़किया कैसे पसंद कर लेते हैं ..वैसे प्यार अब लोगो के लिए बदल जरूर गया हो .मगर आज भी शायद कुछ लोगो के लिए प्यार के वही पुराने मायने है ..क्योकि यही इसी डिब्बे में संजय भी था ..जिसका जिक्र मै कहानी की शुरुआत में ही करा था ..तो वापस संजय पर आते है और ये जानते है की संजय किसके साथ खडा बात कर रहा हैं.क्योकि उसकी बातें भी हमे सुनाई दे रही है .

संजय - मेरे बच्चे कहा देर लगा दी थी आज इतनी ?
रितिका - भाड़ में गयी बच्ची !! तुम्हे पता हैं आज कितना काम था घर पर मैं ही जानती हूँ कैसे आयी हूँ.
संजय - (हंसते हुए ) अच्छा तभी मै कहू आप इतने थके थके से कैसे लग रहे हो
रितिका -(मारते हुए ) अच्छा मेरा मज़ाक उडा रहे हो .
संजय- अरे- अरे अच्छा अच्छा सॉरी ..अब बस भी करो नहीं तो सब क्या कहेंगे की ये लड़का अपनी गर्लफ्रेंड से पिटता हैं ..
रितिका -अच्छा है सोचने दो ,इन सबको क्या पता मेरा बॉयफ्रेंड मुझे कितना परेशान करता है..

तो अब आपको तो पता चल ही गया होगा हमारा संजय भईया प्यार के चक्कर में पड़े हुए हैं ..अरे अरे ये तो लड़ने लगे चलिए वापस सुनते हैं क्या बातें कर रहे है ये दोनों..

रितिका - तुम पागल तो नहीं हो .तुम्हारी जॉब भी नहीं हैं और तुम मुझे दस हज़ार रूपये दे रहे हो.और वैसे भी तुम्हारी
अपनी भी तो प्रोब्लेम्स हैं ..नहीं नहीं मैं ये पैसे नहीं ले सकती .
संजय- आप भी क्या क्या सोचते हो.मैंने एक फ्रेंड से पैसे उधार लिए है जॉब लगते ही पैसे वापस दे दूंगा .
रितिका -मिस्टर बहुत पुराना बहाना है ,और वैसे भी हर बॉयफ्रेंड अपनी गर्लफ्रेंड को येही कहता हैं .
संजय- (हँसता हैं )
रितिका -नहीं ,मैंने गलत कहा कोई भी लड़का आज के समय में इतना नहीं करेगा जितना मेरे लिए तुम करते हो ..I LUV U

संजय-I LUV U toooo

रितिका -i luv u 2,3,4,.......

संजय-खूब हँसता हैं .अच्छा तो अब .......

रितिका - जी नहीं अब कुछ नहीं तुम्हारी बड़ाई क्या कर दी इसका ये मतलब नहीं की मै पैसे ले लूंगी
संजय-अच्छा ठीक है तो ये बताओ कमरे का किराया कैसे दोगी ..
रितिका -वो हो जायेगा
संजय-कैसे हो जायेगा ???याद हैं न मकान मालिक पिछले महीने कितना चिलाया था .बेकार की बातें मत करो .और फिर मैंने
आज इंटरव्यू भी तो दिया है यहाँ तो जॉब लग ही जायेगी.
रितिका -ओह प्लीज़ खयाली पुलाव मत बनाओ.और वैसे भी मैं सोच रही हूँ वो कमरा छोड़ कही और सस्ता कमरा ले लूं .और
वैसे भी वो कमरा काफी दूर पड़ता हैं मुझे ..
संजय- वाह अब वो कमरा दूर हो गया .याद हैं जब वो कमरा लिया था तब तुमने ही कहा था की ये रूम बेस्ट हैं ..और मैडम
वैसे भी कोई और रूम कहा मिलेगा .
रितिका -है न रूम और वो भी सिर्फ पांच हज़ार रूपये में ..देखा तो था हमने भूल गए ..
संजय-दिमाग तो ख़राब नहीं हैं तुम्हारा .वहा लाइट की कितनी ज्यादा प्रॉब्लम है ..
रितिका -काश आज पापा जिन्दा होते तो ऐसा कभी नहीं होता और न ही मेरे भाई अपनी बीवियों के चक्कर में आकर अलग
हो जाते
संजय-(आँसू पूछते हुए )ये सब छोडो पैसे ले लो मेरा स्टेशन आ गया है
रितिका - नो

संजय -(चुपके से रितिका के बैग में पैसे रख देता हैं.और अपने स्टेशन पर उतर जाता है )

अब आप इसे क्या कहोगे ..माना ये कलयुग हैं पर ऐसा नहीं है की अच्छे लोग अब नहीं हैं .जरूरत हैं सही लोगो को पहचान करने की..मैं नहीं जानता की संजय और रितिका की शादी होगी या नहीं पर मैं इतना ज़रूर कह सकता हूँ की इन दोनों का प्यार जरूर सच्चा हैं ..

ज़िन्दगी ऐसे ही चलती रही रोज़ आपके सामने नए नए लोग आते हैं और चले जाते हैं ..अब ये आपके ऊपर निर्भर करता हैं की आप अपने जीवन में साथ किसके साथ रहना पसंद करते हो ..ऐसे ही करते करते रोज़मर्रा की तरह मैं अपने स्टेशन पर उतर कर रिक्शा ढूंढ रहा था.तभी जिस रिक्शा में मैं रोज़ जाता हूँ ,वो रिक्शा वाला अपनी रिक्शा ले कर खडा मेरा इंतज़ार कर रहा था ..उसका नाम हरी था .पछले 4 महीने में शायाद ही कोई दिन ऐसा गया हो जब मुझे घर हरी ने अपनी रिक्शा में न छोडा हो..मैं रोज़ ठीक शाम ६ बजे शाहदरा मेट्रो स्टेशन पहुचता था और रोज़ हरी अपनी रिक्शा लिए मुझे खडा मिलता था ..एक दिन मुझे शाम के ७ बज गए मैं जैसे ही स्टेशन के बहार निकला हरी की आखों ने मुझे ढूंढ लिया और मेरे पास आकर बोला आज आप लेट कैसे हो गए .मैंने जब पूछा की इतने देर तक तुमने मेरा इंतज़ार क्यों किया तो वह कुछ नहीं बोला बस हंस दिया .

  • आज भी ऐसा ही हुआ हरी ने मुझे देख लिया और मुस्करा कर अपनी ओर बुला लिया..मै भी उसी की ओर चलने लगा .आज हरी की आके लाल थी उसकी अव्वाज़ में भी थोडा दर्द था .मुझे लग गया की कुछ बात है ..एक दिन मैंने पूछा हरी तुम मेरा इंतज़ार क्यों करते हो तो उसने हंसते हुए कहा मैं कहा करता हूँ आप ही मेरी रिक्शा में बैठते हो.हरी कहता था की जिस दिन मैं उससे नहीं मिलता उसका दिल नहीं लगता ..और ये भी कहता था की अगर मेरे लड़का होता तो बिलकुल आप जैसा होता..पर आज ऐसा नहीं था वो बिलकुल चुप था मैंने पूछा क्या हुआ तो उसने कहा की भगवान् गरीब के साथ ही बुरा क्यों करता हैं.अब मै क्या कहता ..पर मैं समझ गया था की कुछ गलत हुआ है मैंने रिक्शा रुकवाई और पूछा की क्या हुआ है .उसके आँख में आँसू थे पर वो उन्हें छलकने नहीं दे रहा था ..उसने कहा की पिछले हफ्ते वो अपने घर गया था,उसकी लड़की बीमार थी ..डॉक्टर ने कहा की २ बोतल खून चाहिए .उसने तभी अपना खून दे दिया ..शायद इसलिये वह कमज़ोर भी लग रहा था.उसने कहा की खून चड़ने ही वाले थे क अचानक उन्होंने कहा की मेरी बेटी मर गयी ..

मेरे तो होश ह उड़ गयी मैंने कहा मर गयी ऐसे कैसे मर गयी.क्या हुआ था उसे .और खून उसका क्या किया ..
हरी ने दर्द भरी अव्वाज़ में कहा की उसकी लड़की को क्या हुआ ये डॉक्टर उसे बता ही नहीं रहे थे और खून वो तो उन्होंने ह रख लिया की तुम अब इसका क्या करोगे ..मै सब समझ गया .गरीब का शोषण हर जगह है.हरी ने रोते रोते कहा की उसकी एक ही बेटी थी जिसकी लिए वो अपने गाव छोड़ इतनी दूर पैसे कमाने यहाँ आया हुआ था ..हरी की बातों ने मुझे भी हिला कर रख दिया था मैं उसे कितना ही समझाऊ पर उसका दर्द कही अधिक था ..उस दिन मैं पूरी रात सो नहीं पाया और ये सोचता रहा की भगवान् को ये सब कर क्या मिला ..
पर शायद कुछ चीजे हमारे जीवन में ऐसी घटती हैं जिनका जवाब हम कभी नहीं निकाल सकते
ऐसे बातें जो सिर्फ उस उपार वाले के हाथ में होती है ...
उस दिन के बाद मुझे हरी कभी नहीं दिखा मैंने उसे कई बार ढूँढने की कोशिश की करी पर वो कही न था ..

वो अपनी रह पर न जाना कहा चल पड़ा था ....और आज उसकी याद मुझे बहुत सताती हैं.कभी कभी ज़िन्दगी में कुछ लोग ऐसे आ जाते हैं जो आपकी ज़िन्दगी का हिस्सा बन जाते है..और वो जब जाते हैं तो उसका दुख क्या होता है ये मैं अच्छी तरह जानता हूँ.,,
मैं हमेशा ये जवाब भगवान् से जरूर मांगता हूँ की तुमने ऐसा क्यों किया ??????

सोचो मत ......करो

रात के ३ बजे मुझे ये खायाल आया कि क्या यह सही है कि हम अपनी ज़िन्दगी में सोचते ज्यादा है और करते कम है...अब मुझे ही ले लीजिये मै हर चीज़ को करने से पहले खूब सोचता हू और जब उस काम को करने का वक़्त आता है तब तक मै उस काम को सोच सोच कर इतना थक जाता हू कि फिर सोचता हू क अब हिम्मत नहीं इसे बाद में ही ख़त्म करेंगे ..उदारण के तौरपर - मै रोज़ सोचता हू क सुबह घुमने जाऊंगा मगर सोचते सोचते रात इतने हो जाती है कि सुबह आँख ही नहीं खुलती और अगर खुल भी जाए तो बिस्तर इतना प्यारा लगता है कि उठने का मन नहीं करता ...

खैर मेरी छोडिये पर मै आप सब को ये जरूर कहना चाहूँगा कि कुछ भी काम अगर करना है तो उसे कर डालो जयादा सोचोगे तो वह काम सिर्फ और सिर्फ भविष्य के ओर टालता चला जायेगा ...
पर हाँ जीवन में काम को शुरू करने से पहले सिर्फ इतन जरूर सोच लेना चाहिए कि कही जो काम हम करने जा रहे है उससे हमे या किसी और व्यक्ति को फायदा होगा या नहीं . कही ऐसा ना हो हमारा द्वारा किया गया काम किसी को ठेस पंहुचा दे. .
बस इतना सोचो और अपने मुकाम कि ओर बड़ते चलो

और एक बात और जीवन में कुछ काम किसी के फायेदे के लिए नहीं बल्कि अपनी आत्मा संतुष्टि यानि(Self Satisfaction) के लिए भी किये जाते है ...