Friday, December 25, 2009

Thursday, December 24, 2009

क्यूँ ज़िन्दगी


11:13pm



क्यूँ ज़िन्दगी की राह में मजबूर हो गए

इतने हुए करीब कि हम दूर हो गए

ऐसा नहीं कि हमको कोई भी खुशी नहीं
लेकिन ये ज़िन्दगी तो कोई ज़िन्दगी नहीं
क्यों इसके फ़ैसले हमें मंज़ूर हो गए

पाया तुम्हें तो हमको लगा तुमको खो दिया
हम दिल पे रोए और ये दिल हम पे रो दिया
पलकों से ख़्वाब क्यों गिरे क्यों चूर हो गए

-जावेद अख्तर

Tuesday, December 22, 2009

बर्थडे आ गया

23Dec 12:01 aM :-)

तो आखिर घडी में रात के 12 बज गए है और एक नया दिन शुरू हो गया ..नया दिन यानि 23 दिसम्बर ...मेरा जन्मदिन ...अब ये लाइन लिखते ही मेरे फ़ोन ने बजना शुरू कर दिया है ...पर सबसे से पहले मैं आप सभी की शुभकामनाओं का धन्यवाद देना चाहता हूँ .यकीं मानिये आप सभी के मेसेज पढ़ मुझे बेहद ख़ुशी हुयी ...और मैं
इश्वर से यही प्राथना करूँगा के वो अपना आशीर्वाद और प्यार अपने इस बच्चे पर हमेशा बनाये रखे ....अब मैं पहले फ़ोन और मेसेज पढ़ लूं फिर आप सब से बात करता हूँ byeeeeeeeeee :-)

जन्मदिन का है इंतज़ार

22Dec.10:00 pm

देखो अब मेरे birthday में मात्र २ घंटे बचे है और आज मुझे नींद आ रही है क्योकि सुबह ६ बजे उठ गया था ..ऑफिस जाना था इसलिए जल्दी उठा था ..वैसे मैंने रोज़ रात को १ बजे तक जगता हूँ और आज ही इतनी नींद आ रही ..वैसे मैंने अपना फ़ोन को चार्जिंग पर लगा दिया है,ताकि अगर कोई फ़ोन करे तो उसकी शुभकामनाये ले सकू.. :-)

चलो बातें करें इतनी


22,Dec.10:00pm



चलो बातें करें इतनी,
फलक की गोद में सिमटे सितारे सो जाएँ,
ज़मीन पर बिखरे मंज़र सबके सब हैरान हो जाएँ ,
हवा हैरत से देखती जाये ,
चलो बातें करें इतनी ,
बिना मतलब ,
बिना मकसद ,
चलो न बोलते जाएँ ,
चलो बातें करें इतनी ,
के एक लम्हा ज़रा रुक कर तुम्हे कुछ सोचना दुष्वार हो जाये ,
और
ऐसे में अचानक ही तुम्हारी ज़बान से मोहब्बत का इकरार ,
हो जाये ..........

जन्मदिन का है इंतज़ार


22,Dec.2009-9:o0pm

फिलहार बेसब्री
से अपने birthday इंतज़ार कर रहा हूँ ॥यानि कल 23,Dec को मेरा birthday हैं ..और जिसमे मात्र 3 घंटे बचे हैं ....

ढूँढता रहा


खुशियों के चार पल ही सदा ढूँढता रहा
क्या ढूँढना था मुझको मैं क्या ढूँढता रहा.....

मायूसी के शहर में मुझसा गरीब शख्स,
लेने को सांस,थोड़ी हवा
ढूँढता रहा.......

मालूम था की उनकी नहीं है कोई रज़ा,
फिर भी मैं वहा उनकी रज़ा
ढूँढता रहा.......

मालूम था मुझे नहीं मिलेंगे वो,
फिर भी मैं सदा उनका पता
ढूँढता रहा.....

फिर यूं हुआ कि उनसे मुलाकात हो गयी,
फिर उम्र भर मैं अपना पता
ढूँढता रहा.............

Sunday, December 20, 2009

हो गयी है पीर पर्वत .



20,Dec.7.30pm


हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए



आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी
शर्त थी लेकिन कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए


हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए


सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं
मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए


मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए

दुष्यंत कुमार

Friday, December 18, 2009

चित्र पार्ट 2

मेहमान ....


















मुझे जगह दो


शेर 6



18,Dec.11:38pm







कुछ इस तरह किया उन्होंने मेरे ज़ख्म का इलाज ,
के मरहम भी लगाया तो कांटो की नोक से ..............

Thursday, December 17, 2009

चित्र पार्ट 1

Dec. 9:30pm

ये कुछ चित्र मैंने एक साईट पर देखे आशा करता हूँ आप सबको भी अच्छे लगेंगे ,,,,,,




















शायरी 4




वो अपने घर चला गया अफ़सोस मत करो
इतना ही उसका साथ था अफ़सोस मत करो....

इन्सान अपने आप में मजबूर हैं बहुत
कोई नहीं हैं बेवफा अफ़सोस मत करो.....

इस बार तुमको आने में कुछ देर हो गयी
थक हार के वो सो गया अफ़सोस मत करो.....

दुनिया में और चाहने वाले भी हैं बहुत
जो होना था सो हो गया अफ़सोस मत करो....

इस ज़िन्दगी के मुझपे कई क़र्ज़ हैं मगर
में जल्द लौट आऊंगा अफ़सोस मत करो...

ये देखो फिर से आ गयीं
फूलों पे तितलियाँ
इक रोज़ वो भी आएगा अफ़सोस मत करो.....

वो तुम से आज दूर हैं कल पास आएगा
फिर से खुदा मिलेगा अफ़सोस मत करो.....

बेकार पे बोझ लिए फिर रहे हो तुम
दिल है तुहारा फूल सा अफ़सोस मत करो....

बशीर बद्र

Tuesday, December 15, 2009

sher


किसको फुर्सत है दिल लगाने की
किसको ख्वाइश है मुस्कुराने की ....


तुम न आओगे मगर जाने क्यों
मैं राह ताकता हूँ तेरे आने की ......

एक वक़्त था ख़ुशी नाचती थी चेहरे पे
अब शायद लग गयी नज़र ज़माने की ....


तरसता हूँ की कोई हंस के बात ही कर ले
ढूंढता हूँ मैं कोई वजह मुस्कुराने की .....

अपनी नज़रे भी खुली छोड़ दी मैंने अब
शायद कोई लम्हा ले आये खबर तेरे आने की.....


अब बेजार और बेजान हुए जाते हैं
उनको ज़िद हैं मेरी हिम्मत आज़माने की ......

Friday, December 11, 2009

एक नया शेर


मैं कब कहता हूँ वो अच्छा बहुत हैं
मगर उसने मुझे चाहा बहुत हैं ...

खुदा इस शहर को महसूस रखे
ये बच्चो की तरह हँसता बहुत हैं ....


मैं हर लम्हे में सदियाँ देखता हूँ
तुम्हारे साथ एक लम्हा बहुत हैं ....

मेरा दिल बारिशों में फूल जैसा
ये बच्चा रात में रोता बहुत हैं .....


वो अब लाखों दिलो से खेलता हैं
मुझे पहचान ले इतना बहुत हैं ......


बशीर बद्र ......

Tuesday, December 8, 2009

तीसरा शेर



सपनो की दुनिया आइना,

बनकर टूट गयी ....

हर एक खवाब हकीकत से ,

रूठ गयी ...

आँखों की नमी ने जब गाल ,
छुआ तो एहसास हुआ....

के ज़िन्दगी हाथों से ,
छुट गयी .....

Monday, December 7, 2009

शेर


दिल को अपने लुटा के बैठा हूँ ,
गम को अपना बना के बैठा हूँ ,

क्या खबर मुस्कुराने वालो को,
ज़ख्म क्या क्या छुपा के बैठा हूँ ..........

Sunday, December 6, 2009

बेईमानी

5,December,
1:53am

मैंने आज अखबार ये लेख पढ़ा अब आपके सामने रख रहा हूँ , मेरे मन में इस बात को लेकर काफी सवाल है ...मैं आप सबसे जानना चाहते हो कि आप इन सभी बातों से कितना सहमत हैं

इस बात को भी थोडा समझ लेना जरूरी है .
अगर गरीब आदमी बेईमान होता तो वह भी शायद अमीर हो गया होता . लेकिन अगर वह अमीर नहीं होसकता है ,तो इसका मतलब यह नहीं की वह बेईमान नहीं है .इतना ही हो सकता है की उसकी बेईमानी सफल होपाई हो .यह भी हो सकता है की वह बेईमानी उसने की हो ,लेकिन पडोसी उससे ज़यादा बेईमानी कर गया हो . यहभी हो सकता है की बेईमानी वह करना चाहता हो, लेकिन साहस जुटा पता हो . बहुत से अच्छे आदमी सिर्फकमजोर -कमजोरी की वजह से अच्छे मालूम होते है .
अगर हम लोगो के दिलो में उतर सके ,तो हमे बहुत हैरानी होगी .जिनको हम अच्छे आदमी कहते है ,अक्सर वे ऐसेआदमी होते हैं जो बुरा करने में हिम्मत नहीं जुटा पाते .बुरा करने के लिए भी हिम्मत चाहिए ,करेज चाहिए ,डेरिंगचाहिए ,बुरा करने के लिए फसने की तो कम से कम हिम्मत चाहिए ,दाव पर लगने की हिम्मत चाहिए ....
अक्सर इस मुल्क में जिनको हम अच्छा कहते हैं वह कमज़ोर आदमी हैं और जिस मुल्क में कमजोर आदमी अच्छे होते हैं और ताकतवर आदमी बुरे हो जाते हैं ,उसके दुर्भाग्य के सिवाए उस मुल्क में और कुछ भी घटित नहीं होता . आज जो आदमी हिम्मतवाला हैं,वह बुरा हो जाता हैं और जो कमजोर हैं वह अच्छा होजाता हैं . नपुंसक अच्छे आदमियों से कोई समाज नहीं बदल सकता . जब तक हम ताकतवर लोगों को अच्छे होनेकी दिशा में लगाए,तब तक यह नहीं हो सकेगा ....
लेकिन ताकतवर आदमी अच्छे होने की दिशा में क्यों जाए ? क्योकि अच्छे होने की दिशा में सिर्फ असफलता केसिवाए कुछ भी हाथ लगने को हो ,तो अच्छा आदमी फिर सफलता की दिशा में जाना शुरू हो जाता हैं .सरे समाजकी व्यवस्था ऐसी हैं की सफलता एकमात्र आकर्षण हैं . आप भी उसको पूजते हैं ,जो जीत जाता है ....
पुरानी कहावत है सत्य जीतता हैं ,लेकिन उस कहावत में मुझे भ्रान्ति मालूम पड़ती है, मुझे ऐसा लगता हैंकि जो जीत जाता हैं उसी को हम सत्य कहने लगते हैं . हम सफलता को आदर देते हैं , सफलता किसी भांति में जाए . अगर हमे यह स्थिति बदलनी हैं, तो हमे आदर के मूल्य बदलने पड़ेंगे . हम आदर के मूल्य जिन्हें देंगे , समाज उसी तरफ दोड़ना शुरू हो जाता है ....
उदहारण के तौर पर हम हिंदुस्तान में सन्यासी को बहुत आदर दिया तो हिंदुस्तान में लाखो सन्यासी हो गए . किसी दुसरे मुल्क में इतना सन्यासी को आदर नहीं मिला ,इसलिए दुसरे मुल्क में इतने सन्यासी पैदा नहीं हुए . फ़्रांस में लाखों चित्रकार पैदा हो हते हैं , क्योकि वहां चित्रकार को बहुत आदर मिलता है ,.,इतनी चित्रकार दुनिया में और कहीं नहीं होते ,क्योकि इतना आदर उन्हें नहीं मिलता .............ओशो वर्ल्ड

Thursday, December 3, 2009

सवाल

3 December 2009,
10:40pm

मन
में कभी कभी इतना अकेलापन छा जाता है की आप बस चाहते हो की कोई आपसे बात करे , आपके साथ बैठेआप उन्हें अपनी सारी बातें बताओ पर जब हम अपने पास देखते है तो कोई नहीं सिवाए हमारी परछाई के . ऐसाक्यों होता है , हम उसे बार बार फ़ोन करते हैं ,वो फ़ोन नहीं उठाता ,हम किसी और के साथ गम बाटने की कोशिशकरते है पर उसके पास वक़्त नहीं होता . क्यों क्यों.... ऐसा कब तक ,..
कई बार ऐसा लगता हैं की आज ये बात मेरे साथ गलत हुयी , आज ये बात मेरे साथ बहुत अच्छी हुयी ,पर बोलेकिसी ,बताये किसी दूर दूर तक किसी का कन्धा नहीं तुम्हारे लिए .क्या करे ?
तब ..क्या करे .



जब
आपके चिल्लाने का मन कर रहा हो पर आपके आवाज़ कोई सुने ..जब आपका रोने का मन करे पर किसीका हाथ नहीं आपके उन आंसूओं को पूछने के लिए ..क्या करे जब आप किसी के गले लग आपने सारा मन हल्काकरना चाहते हो पर कोई हो ..क्या करे ?
रोज़ जब शाम को आप अपने घर वापस रहे हो तो आपके पास सिवाए अपने से बात करने के अलावा कोई चारा हो ..क्या करे ?
मन तो कर रहा है की आज तो आराम से बैठ कर बात करू ..पर तभी ख्याल आये बात किससे ..
क्या करे ? तन्हाई ,खालीपन , और अकेलेपन से घिर जाये ॥क्या करे ? क्यों आज ऐसा हमे लग रहा है ॥क्या करे ? आज तक तो ऐसा नहीं था ॥तो अब क्यों ॥क्या हमने कुछ गलत कहा ॥किसी को कुछ कहा ..ऐसा भी नहीं नहीं है फिर ये सब क्यों ...क्यों है हम अकेले..अकेले कोई नहीं रहना चाहता ..चाहे कोई एक हो पर हो ..
वो
दोस्त ,वो साथीजिससे हम अपने सारे जज़्बात बात सके .. ऐसे सवाल पता नहीं कितने बार मेरे दिल में उठते है और फिर ये सोचके बैठ जाते है की इस सवाल का जवाब मेरे पास नहीं है ..अगर आपके पास हो तो जरूर बताईगा ...सवाल का जवाब

Tuesday, December 1, 2009

रब्बा जो तेरी

अब सोने जा रहा हूँ कल फ़िर मिलूँगा अभी गाने भी सुनने है और सुबह जल्दी भी उठाना है जाते जाते आपको एक गाने की चंद पंक्तिया लिख कर जा रहा हूँ

माँगा
जो मेरा है
जाता क्या तेरा है ,
मैंने कौन सी तुझसे जन्नत मांग ली
कैसा खुदा है तू
बस नाम का है तू
रब्बा जो तेरी
इतनी सी भी चली
चाहिए जो मुझे
करदे तू मुझको अदा ....
तुने आवाज़ नहीं दी

कभी
, मुड़ कर वर्ना....

तुने
आवाज़ नहीं दी

कभी
,मुड़ कर वर्ना....

हम
कई संदिया

तुझे
घूम के देखा

करते
................

दूसरा शेर

ज़िन्दगी सिर्फ मोहब्बत नहीं ,कुछ और भी हैं
ज़ुल्फ़ ओं रुखसार की जन्नत नहीं ,कुछ और भी है
भूख और प्यास की मारी हुयी इस दुनिया में
इश्क ही एक हकीकत नहीं ,कुछ और भी है ................


साहिर साहब