Thursday, January 7, 2010

सड़क पर सोते लोग

10: 40pm
आज ऑफिस से आते वक़्त मैं जैसे ही बस से उतरा तभी मेरी नज़र सामने एक बिल्डिंग पर गयी...वहा कई लोग अपने सोने का इन्तेजाम कर रहे थे ..उनके साथ छोटे बच्चे भी थे..हम लोगो को इतने मोटे मोटे स्वेटर में भी ठण्ड लग रही होती हैं और इनके पर बस तन ढकने के कपडे है ..अब वो गर्म कपडे है या नहीं येमैं नहीं जानता ..छोटे बच्चे जैसे समझ चुके है की हमारे लिए ये ही है और वो इसमें भी अपनी ख़ुशी ढूंढ़ रहे है तभी तो सब भूल अपने पास पड़ी लकडियो से खेल रहे थे ... इतनी ठण्ड में खुले आसमान में सोना ....! बिचारे उन्हें देख कर मुझे बहुत दुःख हुआ ..वो कम से कम 20-25 लोग थे ..कई लोगो ने अपने पास आग जला राखी थी ,मगर वो आग उन्हें क्या ताप दे रही होगी ? सिर्फ इतना नहीं सड़क पर सोते हुए कई लोगो ने सड़क पर घुमने वाले कुत्तो को भी अपनी चादर में शामिल कर रखा था ..ये लोग इनके पास कुछ भी नहीं..से सब देख सच में मुझे बहुत दुःख हुआ ..और ये तो सिर्फ एक नमूना है ऐसे न जाने कितने ही सैकड़ो लोग है जो इतनी ठण्ड में यु ही सड़क पर सोते है ..और हमारे देश के नेता आराम से अपने हीटर वाले कमरे में रजाई तान कर सोते हैं ... जो पैसा इन लोगो के लिए आता है वो कहा जाता है वो कोई नहीं जनता ,, जो रेन बसेरो के लिए सरकार देती है वो कहा जाता है कोई नहीं जनता है ..और जो गिने चुने रेन बसेरे होते है उनके हालत जैसे होती है वो सब जानते है ...

2 comments:

  1. दुखद हालात हैं..

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  2. samir ji aapke comments ke liye shukriya
    ye aur likhne ke liye prerit karte hai

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