Tuesday, January 12, 2010

शायरी - 9

हर एक चेहरे को ज़ख्मों का आइना कहो
यह ज़िन्दगी तो है रहमत इससे सजा कहो........

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जाने कोई कौन सी मजबूरियों का कैदी हो
वो साथ छोड़ गया है तो उसे बेवफा कहो...........

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यह
और बात की दुश्मन हुआ है आज मगर
वो मेरा दोस्त था कल तक उसे बुरा कहो.......

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हमारे
ऐब हमें उँगलियों पर गिनवा दो
पर हमारी पीठ के पीछे हमें बुरा कहो ...........

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2 comments:

  1. बहुत खूब!!


    हमारे ऐब हमारी ऊँगलियों पर गिनवा दो

    हमारी पीठ के पीछे हमें बुरा न कहो!!

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  2. क्या बात है, बहुत ही जानदार और शानदार शेर

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