Tuesday, January 5, 2010

शायरी 7


आप से दोस्ती हो गयी
ज़िन्दगी -ज़िंदगी हो गयी .....


कौन झाकता है ख़यालात में
ज़हन में चांदनी हो गयी.......

एक उल्फत का सूरज उगा
हर तरफ रौशनी हो गयी ....

शबनमी रुत का असर था
कि शाख सुखी हरी हो गयी ....

हमसे रुखसत कोई क्या हुआ
आँखों में फिर नमी हो गयी ....

उसका 'नाज़' ये एहसान है
कि धूप भी छाव हो गयी .........

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