skip to main |
skip to sidebar
माना हम सदियों से तनहा है दोस्त ..
एहसास मत दिलाया करो..
दर्द होता है .......
हर इन्सान में खुदा है .....
ये सच पहचान न पाए कोई....
दुःख मिलने से रोता है हर इंसान...
मुस्कराते हुए किसी को सह न पाए कोई ...
देखने को नहीं मिलेगें खुदा लोगों को ...
क्योकि लोग जीते है सिर्फ खुद के लिए ...
सिर्फ पैसों की तलाश है हर इंसान को ....
खुदा खुद हाज़िर भी हो...
तो किसके लिए ????
मेरे "किरदार" को
कुछ इस कदर
बयां किया उसने....
मेरे गुनाह को
सभी मेरा "अंदाज़"
समझ बैठे ........!!!!!!!
किसी को खुश रखना ...
मेरी आदत तो नहीं
मुझे देख कर कोई मुस्करा दे ...
तो मैं क्या करू ...........
आज काफी थक गया ऑफिस में ..खाना खाकर अब अपने प्यारे कमरे में आकर अपने कंप्यूटर पर गाने सुन रहा हूँ..साथ ही अपने दोस्त सुंदर से बात भी कर रहा हूँ .
आज मरी इतने दिन बाद काफी देर तक मेरे कॉलेज के बहुत अच्छे दोस्त प्रतीक से बात हुई..प्रतीक
कॉलेज की पढाई ख़तम करने के बाद लदन चला गया है ..बस तभी से बात होती पर काफी कम ..पर
आज हम दोनों ने इंटरनेट पर काफी देर तक बात करी ..वैसे ऐसा नहीं है की आज ही मुझे इंटरनेट का
फायेदा नज़र आ रहा है पर वाकिये में इंटरनेट ने दुनिया को बहुत छोटा बना दिया है ..हम दोनों अपने
अपने Headphones से बात कर रहे थे और बाद में प्रतीक नेwebcam भी ऑन कर दिया था जिसकी
वजह से मैंने कम से कम एक साल बात उसे देखा भी ....काफी अच्छा लगा ..कॉलेज टाइम में मेरे सबसे
अच्छे दोस्तों में से एक प्रतीक भी था ..मुझे अपने कॉलेज जाने का सबसे उपयोगी बात ये ही लगी थी की
मुझे प्रतीक और उसके जैसे कुछ दोस्त ऐसे मिले थे जिनके बिना वाकिये में लाइफ अधूरी होती .. हम
दोनों ने काफी बातें करी और बाद में से पक्का भी कर लिया की अब जब बात करनी हो तो नेट पर ही
कर लेंगे ..प्रतीक कॉलेज टाइम में काफी सोचता रहता था ..उसे लगता था जैसे वो जिस course में पढ़
रहा है वो उसको नहीं करना चाहिए ...पर आखिर वो सही मंजिल की और निकल पड़ा..यानि वो जो
करना चाहता था MBA उसे उस university में admisson भी मिल गया और लंदन चला गया ..इंडिया
में वो हमेशा कहता था की यार पता नहीं क्या करूँगा मैं जो पढाई कर रहा हूँ वो मेरे काम आएगी भी या
नहीं पर चलो उसे कुछ करने को तो मिला नहीं तो वो हमेशा इस उलझन में ही रहता की मुझे करना था
पर मैं नहीं कर पाया ..... प्रभु से ये ही दुआ करता हु की प्रतीक जो चाहता है वो पूरा हो जाये ..वो अपने
परिवार से हम सबसे इतनी दूर गया हुआ है ....और कम से कम जो प्रतीक चाहता हैं वो बनकर ही वापस आये जाये...
थक सा गया है अब मेरी "चाहतों" का वजूद
अब तो "कोई" अच्छा भी लगे तो हम "इज़हार" नहीं करते