11:26pm जल्द ही एक नयी फिल्म इश्किया आ रही है ..इसमें नसरुद्दीन शाह ,अरशद वारसी ,विद्या बालन मुख्य भूमिका में दिखयी देंगे ..और यकीं मानिये ये फिल्म हिट जाएगी..फिल्म के ट्रेलर ये ही बता रहे है .साथ संगीत विशाल भरद्वाज ने दिया है और गाने गुलज़ार साहब ने लिखे है ..पर ख़ास बात इस फिल्म का एक गाना है "दिल तो बच्चा है जी " ये गाना आने वाले दिनों में सबकी जबान पर जरूर चढ़ जायेगा ..ये गाना ख़ास रहत फ़तेह खान ने अपनी नशीली आवाज़ में गया है .मुझे ब्लॉग में गाना कैसे लगाते हैं वो नहीं आता इसीलिए मैं इस गाने के बोल लिख रहा हूँ.ये नसरुद्दीन शाह विद्या बालन के लिए गा रहे है ..वो बड़े है इसीलिए वो अपनी उम्र को देखते हए ये गाना गाते हैं और अगर किसी पाठक को पता हो तो कृपया मुझे जरूर बताये पर फेले ये गाना एक बार सुनिए गा आप सबको जरूर पसंद आएगा ..गाने का लिंक लिख रहा हु ताकि आपको ढूँढने में आसानी हो ख़ास तौर पर हमारे चहेते "समीर जी" ko
http://www.youtube.com/watch?v=F90BfpaKGB4 एक अधेढ़ उम्र के आदमी को इश्क हो जाये तो उसका क्या होगा ये गाना उसपर है...
ऐसी उलझी नज़र उनसे हटती नहीं दांत से रेशमी डोर कटती नहीं उम्र कब की बरस के सफेद हो गयी कारी बदरी जवानी की छट्टी नहीं वल्ला ये धड़कन बढने लगी है चेहरे की रंगत उड़ने लगी है डर लगता है तनहा.. सोने में जी दिल तो बच्चा है जी .... थोडा कच्चा है जी ऐसी उलझी नज़र उनसे हटती नहीं दांत से रेशमी डोर कटती नहीं उम्र कब की बरस के सफेद हो गयी कारी बदरी जवानी की छट्टी नहीं रा रा रा रा रा
किसको पता था पहलू में रखा दिल ऐसा पाजी भी होगा हम तो हमेशा समझते थे कोई हम जैसा हाजी ही होगा हाय जोर करें , कितना शोर करें बेवाज़ा बातें पे ऐंवे गौर करें दिलसा कोई कमीना नहीं कोई तो रोके , कोई तो टोके, इस उम्र में अब खाओगे धोखे डर लगता है इश्क करने में जी दिल तो बच्चा है जी .... दिल तो बच्चा है जी .... दिल तो बच्चा है जी .... थोडा कच्चा है जी
ऐसी उधासी बैठी है दिल पे हसने से घबरा रहे हैं सारी जवानी कतरा के काटी पीरी में टकरा गए हैं दिल धड़कता है तो ऐसे लगता है वो आ रहा है यहीं देखता ही न हो प्रेम की मारें कतार रे तौबा ये लम्हे कटते नहीं क्यूँ आँखों से मेरी हटते नहीं क्यूँ डर लगता है मुझसे कहने में जी दिल तो बच्चा है जी .... दिल तो बच्चा है जी .... थोडा कच्चा है जी हाँ दिल तो है बच्चा जी
10: 40pm आज ऑफिस से आते वक़्त मैं जैसे ही बस से उतरा तभी मेरी नज़र सामने एक बिल्डिंग पर गयी...वहा कई लोग अपने सोने का इन्तेजाम कर रहे थे ..उनके साथ छोटे बच्चे भी थे..हम लोगो को इतने मोटे मोटे स्वेटर में भी ठण्ड लग रही होती हैं और इनके पर बस तन ढकने के कपडे है ..अब वो गर्म कपडे है या नहीं येमैं नहीं जानता ..छोटे बच्चे जैसे समझ चुके है की हमारे लिए ये ही है और वो इसमें भी अपनी ख़ुशी ढूंढ़ रहे है तभी तो सब भूल अपने पास पड़ी लकडियो से खेल रहे थे ... इतनी ठण्ड में खुले आसमान में सोना ....! बिचारे उन्हें देख कर मुझे बहुत दुःख हुआ ..वो कम से कम 20-25 लोग थे ..कई लोगो ने अपने पास आग जला राखी थी ,मगर वो आग उन्हें क्या ताप दे रही होगी ? सिर्फ इतना नहीं सड़क पर सोते हुए कई लोगो ने सड़क पर घुमने वाले कुत्तो को भी अपनी चादर में शामिल कर रखा था ..ये लोग इनके पास कुछ भी नहीं..से सब देख सच में मुझे बहुत दुःख हुआ ..और ये तो सिर्फ एक नमूना है ऐसे न जाने कितने ही सैकड़ो लोग है जो इतनी ठण्ड में यु ही सड़क पर सोते है ..और हमारे देश के नेता आराम से अपने हीटर वाले कमरे में रजाई तान कर सोते हैं ... जो पैसा इन लोगो के लिए आता है वो कहा जाता है वो कोई नहीं जनता ,, जो रेन बसेरो के लिए सरकार देती है वो कहा जाता है कोई नहीं जनता है ..और जो गिने चुने रेन बसेरे होते है उनके हालत जैसे होती है वो सब जानते है ...
क्यूं कहते हो मेरे साथ कुछ भी बेहतर नही होता सच ये है के जैसा चाहो वैसा नही होता कोई सह लेता है कोई कह लेता है क्योकि ग़म कभी ज़िंदगी से बढ़ कर नही होता
आज अपनो ने ही सीखा दिया हमे यहाँ ठोकर देने वाला हर पत्थर नही होता क्यूं ज़िंदगी की मुश्क़िलो से हारे बैठे हो इसके बिना कोई मंज़िल, कोई सफ़र नही होता
कोई तेरे साथ नही है तो भी ग़म ना कर ख़ुद से बढ़ कर कोई दुनिया में हमसफ़र नही होता