3 December 2009,
10:40pm
मन में कभी कभी इतना अकेलापन छा जाता है की आप बस चाहते हो की कोई आपसे बात करे , आपके साथ बैठेआप उन्हें अपनी सारी बातें बताओ पर जब हम अपने पास देखते है तो कोई नहीं सिवाए हमारी परछाई के . ऐसाक्यों होता है , हम उसे बार बार फ़ोन करते हैं ,वो फ़ोन नहीं उठाता ,हम किसी और के साथ गम बाटने की कोशिशकरते है पर उसके पास वक़्त नहीं होता . क्यों क्यों.... ऐसा कब तक ,..
कई बार ऐसा लगता हैं की आज ये बात मेरे साथ गलत हुयी , आज ये बात मेरे साथ बहुत अच्छी हुयी ,पर बोलेकिसी ,बताये किसी दूर दूर तक किसी का कन्धा नहीं तुम्हारे लिए .क्या करे ?
तब ..क्या करे .
जब आपके चिल्लाने का मन कर रहा हो पर आपके आवाज़ कोई न सुने ..जब आपका रोने का मन करे पर किसीका हाथ नहीं आपके उन आंसूओं को पूछने के लिए ..क्या करे जब आप किसी के गले लग आपने सारा मन हल्काकरना चाहते हो पर कोई न हो ..क्या करे ?
रोज़ जब शाम को आप अपने घर वापस आ रहे हो तो आपके पास सिवाए अपने से बात करने के अलावा कोई चारान हो ..क्या करे ?
मन तो कर रहा है की आज तो आराम से बैठ कर बात करू ..पर तभी ख्याल आये बात किससे ..
क्या करे ? तन्हाई ,खालीपन , और अकेलेपन से घिर जाये ॥क्या करे ? क्यों आज ऐसा हमे लग रहा है ॥क्या करे ? आज तक तो ऐसा नहीं था ॥तो अब क्यों ॥क्या हमने कुछ गलत कहा ॥किसी को कुछ कहा ..ऐसा भी नहीं नहीं है फिर ये सब क्यों ...क्यों है हम अकेले..अकेले कोई नहीं रहना चाहता ..चाहे कोई एक हो पर हो ..
वो दोस्त ,वो साथीजिससे हम अपने सारे जज़्बात बात सके .. ऐसे सवाल पता नहीं कितने बार मेरे दिल में उठते है और फिर ये सोचके बैठ जाते है की इस सवाल का जवाब मेरे पास नहीं है ..अगर आपके पास हो तो जरूर बताईगा ...सवाल का जवाब
Thursday, December 3, 2009
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ji jarur
ReplyDeleteun alfaazon ko bayaan kuch aisa kia
ke samajhne wale tabhi samjhne lage
kya usne gunaah kia...
aisa kyu kia