हर एक चेहरे को ज़ख्मों का आइना न कहो
यह ज़िन्दगी तो है रहमत इससे सजा न कहो........
-------------------------------------
न जाने कोई कौन सी मजबूरियों का कैदी हो
वो साथ छोड़ गया है तो उसे बेवफा न कहो...........
-------------------------------------
यह और बात की दुश्मन हुआ है आज मगर
वो मेरा दोस्त था कल तक उसे बुरा न कहो.......
-------------------------------------
हमारे ऐब हमें उँगलियों पर गिनवा दो
पर हमारी पीठ के पीछे हमें बुरा न कहो ...........
-------------------------------------
Tuesday, January 12, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
बहुत खूब!!
ReplyDeleteहमारे ऐब हमारी ऊँगलियों पर गिनवा दो
हमारी पीठ के पीछे हमें बुरा न कहो!!
क्या बात है, बहुत ही जानदार और शानदार शेर
ReplyDelete