रात के ३ बजे मुझे ये खायाल आया कि क्या यह सही है कि हम अपनी ज़िन्दगी में सोचते ज्यादा है और करते कम है...अब मुझे ही ले लीजिये मै हर चीज़ को करने से पहले खूब सोचता हू और जब उस काम को करने का वक़्त आता है तब तक मै उस काम को सोच सोच कर इतना थक जाता हू कि फिर सोचता हू क अब हिम्मत नहीं इसे बाद में ही ख़त्म करेंगे ..उदारण के तौरपर - मै रोज़ सोचता हू क सुबह घुमने जाऊंगा मगर सोचते सोचते रात इतने हो जाती है कि सुबह आँख ही नहीं खुलती और अगर खुल भी जाए तो बिस्तर इतना प्यारा लगता है कि उठने का मन नहीं करता ...
खैर मेरी छोडिये पर मै आप सब को ये जरूर कहना चाहूँगा कि कुछ भी काम अगर करना है तो उसे कर डालो जयादा सोचोगे तो वह काम सिर्फ और सिर्फ भविष्य के ओर टालता चला जायेगा ...
पर हाँ जीवन में काम को शुरू करने से पहले सिर्फ इतन जरूर सोच लेना चाहिए कि कही जो काम हम करने जा रहे है उससे हमे या किसी और व्यक्ति को फायदा होगा या नहीं . कही ऐसा ना हो हमारा द्वारा किया गया काम किसी को ठेस पंहुचा दे. .
बस इतना सोचो और अपने मुकाम कि ओर बड़ते चलोऔर एक बात और जीवन में कुछ काम किसी के फायेदे के लिए नहीं बल्कि अपनी आत्मा संतुष्टि यानि(Self Satisfaction) के लिए भी किये जाते है ...
Monday, November 30, 2009
सोचो मत ......करो
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