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माना हम सदियों से तनहा है दोस्त ..
एहसास मत दिलाया करो..
दर्द होता है .......
हर इन्सान में खुदा है .....
ये सच पहचान न पाए कोई....
दुःख मिलने से रोता है हर इंसान...
मुस्कराते हुए किसी को सह न पाए कोई ...
देखने को नहीं मिलेगें खुदा लोगों को ...
क्योकि लोग जीते है सिर्फ खुद के लिए ...
सिर्फ पैसों की तलाश है हर इंसान को ....
खुदा खुद हाज़िर भी हो...
तो किसके लिए ????
मेरे "किरदार" को
कुछ इस कदर
बयां किया उसने....
मेरे गुनाह को
सभी मेरा "अंदाज़"
समझ बैठे ........!!!!!!!
किसी को खुश रखना ...
मेरी आदत तो नहीं
मुझे देख कर कोई मुस्करा दे ...
तो मैं क्या करू ...........