Tuesday, December 15, 2009

sher


किसको फुर्सत है दिल लगाने की
किसको ख्वाइश है मुस्कुराने की ....


तुम न आओगे मगर जाने क्यों
मैं राह ताकता हूँ तेरे आने की ......

एक वक़्त था ख़ुशी नाचती थी चेहरे पे
अब शायद लग गयी नज़र ज़माने की ....


तरसता हूँ की कोई हंस के बात ही कर ले
ढूंढता हूँ मैं कोई वजह मुस्कुराने की .....

अपनी नज़रे भी खुली छोड़ दी मैंने अब
शायद कोई लम्हा ले आये खबर तेरे आने की.....


अब बेजार और बेजान हुए जाते हैं
उनको ज़िद हैं मेरी हिम्मत आज़माने की ......

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